इस वर्ष सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है लेकिन फिर भी सरसों के तेल के भाव आसमान छू रहें हैं एक तरफ जहां अप्रैल 2020 में सरसों के तेल की कीमत 117 रुपये प्रति लीटर हुआ करती थी वहीं आज बाजार में उसकी कीमत 180 रुपये प्रति लीटर तक पहुँच गयी है और शुद्ध कच्ची घानी का सरसों का तेल तो 200 रुपये प्रति लीटर को पार कर गया है यानी पिछले एक वर्ष के मुकाबले सरसों के तेल की कीमत 50 फीसदी तक बढ़ गयी है


भारत में आमतौर पर 6 खाद्य तेल का इस्तेमाल किया जाता है इनमें सरसों का तेल, मूंगफली का तेल, डालडा (वनस्पति तेल), रिफाइंड (सोया तेल), सूरजमुखी का तेल (सनफ्लावर ऑइल) और ताड़ का तेल (पाम ऑइल) शामिल हैं उपभोक्ता विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बीते एक साल में इन तेलों के दाम 20 से 56 फीसदी तक बढ़ गए हैं।




भारत में सरसों के तेल के भाव बढ़ने के प्रमुख कारण :-

मलेशिया से पाम ऑयल के आयात पर सख्ती

भारत अधिकतर पाम ऑयल मलेशिया से आयात करता है लेकिन जब से मलेशिया ने कश्मीर मुद्दे पर टिप्पणी की है तब से भारत ने मलेशिया से पाम ऑयल के आयात को फ्री लिस्ट से हटाकर रिस्ट्रिक्टेड लिस्ट में रख दिया है और अब मलेशिया से आयात लगभग ज़ीरो हो गया है जिसका सीधा असर भारत के तेल बाजारों पर भी हुआ है अतः भारत में खाद्य तेलों के भाव बढ़ने का प्रमुख कारण कहीं ना कहीं मलेशिया से तेल आयात के प्रति सख्ती बरतने से भी हुआ है




सरकार की किसानों के प्रति हितैषी सोच

सरसों के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से सरसों के भाव में भी अच्छा खासा उछाल देखने को मिला है जहां कुछ वर्ष पहले सरसो के भाव 3000 से 3600 रुपए प्रति क्विंटल तक होते थे अब वह 6000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है और यदि यही तेजी लगातार जारी रहती है तो कुछ वर्षों में सरसों के भाव 8,000 से 10,000 रुपए प्रति क्विंटल तक भी पहुँच सकते हैं जिसका सीधा सीधा फायदा किसान भाइयों को मिलेगा अतः कुछ हद तक कह सकते हैं कि सरसो के तेल के भाव सरकार जान पूछकर भी बढ़ने दे रही है ताकि किसानों का सीधा फायदा मिल सकें




मिलावट में सख़्ती

भारत सरकार ने सितंबर 2020 में सरसों के तेल में मिलावट पर खास प्रतिबंध लगाये है अतः इस सख्ती से भी सरसों के तेल की कीमतों में काफी उछाल आया है और शुद्ध कच्ची घानी के सरसों का तेल तो 200 रुपये प्रति लीटर तक हो गया है




आयल ब्लेंडिंग क्या है ?

सरसों के तेल में जब दूसरे तेलों को एक तय अनुपात में मिलाया जाता है उसे ब्लेंडिंग कहते है। सरसों के तेल में करीब 20 फीसदी तक की ब्लेंडिंग की जाती थी। यही वजह है कि बाजार का तेल हमेशा ही कोल्हू से अपनी सरसों ले जाकर निकलवाए तेल से अलग होता है। सरकार की ओर से इसे इसलिए रोका गया है, क्योंकि ब्लेंडिंग की आड़ में बहुत से व्यापारी मिलावट का धंधा कर रहे थे। साथ ही सरकार का ये भी तर्क है कि ब्लेंडिंग नहीं होने से सरसों की खपत भी बढ़ेगी, जिससे किसानों को फायदा होगा।



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