कैसे कंपनियां दिमाग को चकरा देने वाली तरकीबें इस्तेमाल करती हैं।

जब भी आप ऑनलाइन या स्थानीय दुकान से कुछ खरीदते हैं, आपको हमेशा मूल्य टैग कुछ इस तरह मिलते हैं जैसे

199₹

299₹

599₹

899₹

999₹

क्योंकि हम बाएं से दाएं पढ़ते हैं, कीमत का पहला अंक हमारे दिमाग में सबसे ज्यादा गूंजता है। इसलिए अगर कीमत 299 है तो आपका मन कहेगा कि लगभग 200 रुपये कीमत है, लेकिन वास्तव में यह 300 रुपये है।


हमारे दिमाग को 299₹ का मूलय टैग 300₹ की तुलना में बेहतर सौदा जैसा लगता है। लेकिन असल में यहाँ सिर्फ 1₹ का ही अंतर है।



टेलीकॉम कंपनियां कैसे आपके दिमाग के साथ खेलती हैं।

इन दिनों जब भी आप अपना नंबर रिचार्ज करेंगे तो आपको 28 दिन, 56 दिन, 84 दिनों की वैलिडिटी मिलेगी। आपका दिमाग अनुमान लगाने की कोशिश करता है और सोचता है कि 28 दिन एक महीने के बराबर हैं।


आप सोचेंगे कि अगर मैं अपना मोबाइल 100₹ प्रति माह का रिचार्ज कर रहा हूं। तो मैं 1 साल में 1200 रुपये खर्च आएगा। आईये इसके पीछे का थोड़ा सा गणित समझते हैं। जैसे कि आपने सुना ही होगा बूँद बूँद से एक घड़ा भरता है।


अगर आप हर महीने में से 2 दिन निकालेंगे तो आप पाएंगे।

जनवरी (31 - 28) = 3
जनवरी (31 - 28) = 3
फरवरी (28 - 28) = 0
मार्च (31 - 28) = 3
अप्रैल (30 - 28) = 2
मई (31 - 28) = 3
मई (31 - 28) = 3
जून (30 - 28) = 2
अगस्त (31 - 28) = 3
सितंबर (30 - 28) = 2
अक्टूबर (31 - 28) = 3
नवंबर (30 - 28) = 2
दिसंबर (31 - 28) = 3
-----------------------------------------------
कुल 29

कुल मिलाकर 29 अतिरिक्त दिन हैं। जो एक महीने के बराबर है। तो एक साल में आपको 12 रिचार्ज नहीं बल्कि 13 रिचार्ज करने होंगे। इसका मतलब यह है कि आपको सालाना 1300₹ खर्च करने होंगे न कि 1200₹ ।

Post a Comment

Please do not add any SPAM links or unrelated text in comments.

أحدث أقدم